साइकोलॉजी सबजेक्ट में करियर बनाने के लिए जरूरी बातें
साइकोलॉजी सबजेक्ट में करियर बनाने के लिए जरूरी बातें
सफल साइकोलॉजिस्ट्स बनने के लिए अच्छी कम्युनिकेशन स्किल्स और सभी उम्र के लोगों के साथ काम करने की कला होनी चाहिए। इसके साथ ही साइकोलॉजिस्ट्स के लिए सेंसिटिव, केयरिंग, आत्मविश्वासी होने के साथ क्लाइंट को संतुष्ट करने की योग्यता भी आवश्यक है।
साइकोलॉजिस्ट्स सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों, यूनिवर्सिटी, स्कूलों, सरकारी एजेंसियों, प्राइवेट इंडस्ट्रीज, रिसर्च आर्गेनाइजेशंस, कॉर्पाेरेट हाउस में रोजगार मिल सकता हैं। साइकोलॉजी में स्पेशलाइजेशन के अलावा कई नए क्षेत्र सामने आए हैं। आपके लिए इनमें भी काफी अवसर हो सकते हैं।
कंज्यूमर साइकोलॉजी : बाजार में कोई भी नया उत्पाद उतारने से पहले कंज्यूमर सर्वे करवाती हैं और उपभोक्ताओं के टेस्ट, जरूरतों, पसंद-नापसंद इत्यादि को परखने का प्रयास इन्हीं विशषज्ञों के विश्लेषण के आधार पर करने का प्रयास करती हैं।
सोशल साइकोलॉजी : सामाजिक तनावों को दूर करने के अलावा ये अपराधियों, नशा करने वाले लोगों को मुक्त कराना शामिल है। इनकी सेवाओं का सरकारी समाज कल्याण विभागों, एनजीओ और कई समाज सुधार के कार्यों से जुड़ी एजेंसियों द्वारा लिया जाता है. पारिवारिक झगड़ों, वैवाहिक मामलों तथा अन्य समस्याओं को निपटाने में भी इनकी अहम भूमिका होती है।
सैलरी : सैलरी के लिहाज से यह फील्ड काफी आकर्षक मानी जाती है। हालांकि आपकी क्वॉलिफिकेशन और अनुभव पर भी आपकी सैलरी निर्भर करती है। अगर आप प्राइवेट प्रैक्टिस करने का निर्णय लेते हैं, तो उसमें काफी अच्छा स्कोप है। इससे आपको फीस तो मनचाही मिलेगी ही, लोगों के बीच आप प्रसिद्ध भी हो सकते हैं।
कोर्स :
1. बीए/बीए ऑनर्स इन साइकोलॉजी (3 साल)
2. एमए/एमएससी इन साइकोलॉजी (2 साल)
3. पीजी डिप्लोमा इन साइकोलॉजी (2 साल)
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